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Bodhipathpradipa of Acarya Dipankar Srijnana text with tr. into Hindi by Parmanand Sharma
आचार्य दीपंकर श्रीज्ञान द्वारा रचित बोधिपनप्रदीप ऐसा प्रथ है जिसमें सम्पूर्ण बौद्ध वाड्मय का सार सलिहित है। इस कृति में उन्होंने तीन प्रकार के मनुष्यों की व्याख्या की है। निम्न कोटि का व्यक्ति वह है जो किसी प्रकार के उपाय से अपने लिये सांसारिक सुख मात्र प्राप्त करने की चेष्ठा करता हो मध्यम कोटि का व्यक्ति वह है जो भौतिक भत्र सुल से विमुख हो तथा पाप कर्मों से विरत रहकर केवल अपने लिये शान्ति की अभिलाषा करता हो और जो अपने मन के अन्तर्गत दूस के द्वारा पराये समस्त दुखों को सर्वया भीण करना बाहता हो वही उत्तम पुरुष है। इसके लिये प्रज्ञा और उपाय सम्मिश्रण होना आवश्यक है।
इस ग्रन्थ में श्रावकयीन बोधिसत्त्वयान य महायान और अन्त्रयान य वज्रयान के आदर्श भेद पर प्रकाश डाला है। महायान और वज्रयान दोनों के लिये प्रज्ञा तथा उपाय के एकीकरण के ऊपर बल दिया है क्योंकि बुद्धत्व को प्राप्त करना प्रज्ञा और उपाय के सामरख्य के बिना असम्भव है।
ISBN-10 : 9380359020
ISBN-13 : 978-9380359021