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बौद्ध धर्म के परिप्रेक्ष्य में क्षान्ति का बल विश्व के सभी प्रमुख धर्म प्रेम करुणा तथा सहिष्णुता के महत्त्व पर बल देते हैं। बौद्ध धर्म की परम्पराओं में इनका अपना एक विशिष्ट स्थान है जो इस बात पर एक मत हैं कि करुणा तथा प्रेम सभी प्रकार के अभ्यासों के मार्गों की आधारशिला है। अपने अन्दर निहित करुणा तथा प्रेम की भावना के परिष्कार के लिये क्रोध और घृणा जैसी उनकी विरोधी शक्तियों का प्रतिकार अत्यन्त महत्त्पूर्ण है।
इस पुस्तक में परम पावन दलाई लामा यह बता रहे हैं कि हम किस तरह क्षान्ति और सहिष्णुता के अभ्यास द्वारा क्रोध और घृणा जैसी बाधाओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। उनकी यह विवेचना शास्त्रीय ग्रन्थ बोधिचर्यावतार पर आधारित है जिसमें अन्य सत्वों की भलाई हेतु पूर्ण प्रबुद्धता की कामना करने वाले बोधिसत्व के कार्यों का विवरण है।
इसमें प्रस्तुत प्रणाली और उपाय न केवल बौद्धाभ्यासियों के लिये प्रासंगिक हैं अपितु उनके लिये भी जो स्वयं भी इनसे लाभान्वित होना चाहते हैं। इन उपदेशों और अपने स्वयं के उदाहरण द्वारा परम पावन दलाई लामा दर्शा रहे हैं कि किस तरह क्षान्ति और सहिष्णुता की शक्ति से क्रोध का शमन कर विश्व में शान्ति उत्पन्न की जा सकती है।
Language : Hindi
ISBN-10 : 9383441453
ISBN-13 : 978-9383441457